स्वास्थ्य शिक्षा
स्वास्थ्य का अर्थ :
स्वास्थ्य को बीमारियों से मुक्ति, स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मन वाली अवस्था या वह अवस्था जैसा व्याख्यायित किया गया है, "शरीर व मन अपने अपने कार्य निर्वहन करते हैं", पहले स्वास्थ्य को शारीरिक शिक्षा सुरक्षा व निरोगी होने की अवस्था ही माना जाता था। पर इस विषय पर अधिक खोज परख व गहन अध्ययन यह दर्शाता है, कि स्वास्थ्य का अर्थ कितना व्यापक है। संपूर्ण स्वास्थ्य वह अवस्था है जो मनुष्य को अपना जीवन हर तरफ भरपूर ढंग से जीने के योग्य बनाती है। स्वास्थ्य व शारीरिक योग्यता है जो कि शरीर को लगातार बदलते हालातों के अनुसार ढालने के काबिल बनाती है और जिसका उपयोग शरीर को ताकत देने, अधिक शक्तिशाली बनाने एवं इसमें थकावट का मुकाबला करने की क्षमता विकसित करने के लिए किया जाता है।
स्वास्थ्य शिक्षा का महत्व :-
जैसा कि पहले कहा जा चुका है कि बहुत से कष्ट तथा रोग बचाए जा सकते हैं यदि व्यक्तियों की रोगों के फैलाव, बचाव तथा उपचार की पूरी जानकारी हो। यह बड़े खेद तथा दुख की बात है, कि भारत में अधिकतर लोगों को स्वास्थ्य तथा सफाई के मौलिक सिद्धांतों की जानकारी नहीं है। वह इस बात से भी अनभिज्ञ हैं कि समय रहते उपाय करने से बहुत से रोगों से बचा जा सकता है। इस कारण रोगों का सामना करने के लिए उनको इनसे होने वाले खतरों से सावधान करने की आवश्यकता है। हमारे ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले व्यक्ति विशेष तौर पर स्वास्थ्य तथा सफाई के सिद्धांतों को नहीं जानते हैं। इस कारण स्वास्थ्य ज्ञान, व्यवहार तथा अभिवृत्तियों का ज्ञान देकर उद्देश्यों को प्राप्त करना करने का एक ही उपाय है तथा वह है एक अच्छा स्वास्थ्य शिक्षा कार्यक्रम। इसलिए स्वास्थ्य शिक्षा के कार्यक्रम को चलाना अति आवश्यक है।
किसी रोग का बचाव उसके उपचार से अधिक महत्व रखता है, रोगों से बचने के उपायों का ज्ञान, स्वास्थ्य शिक्षा के फैलाव से, जो एक वैज्ञानिक ढंग की नींव डालती है, अज्ञानता, अरुचि तथा समाज में पाए जाने वाले पक्षपाती विचारों को दूर किया जा सकता है, यह भी सभी जानते हैं, कि स्वास्थ्य शिक्षा के सिद्धांतों पर जीवन के प्रारंभिक वर्षों में चलकर कई नेत्र रोग, दंत रोग, मुद्रा विकार तथा संतुलित भोजन का सेवन करने जैसी समस्याओं को रोका जा सकता है।
स्वास्थ्य शिक्षा का लक्ष्य तथा उद्देश्य :-
विद्यालय में स्वास्थ्य शिक्षा कार्यक्रम का लक्ष्य विद्यार्थियों में उचित शारीरिक, मानसिक तथा सामाजिक स्वास्थ्य का विकास करना होना चाहिए।
इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए निम्नलिखित उद्देश्य निर्धारित करने चाहिए -
- प्रत्येक बालक की स्वास्थ्य संबंधी आवश्यकताओं को समझना।
- बच्चों के स्वास्थ्य की देखभाल तथा मार्गदर्शन करना।प्र
- प्रत्येक बच्चे के स्वास्थ्य स्तर की जांच करते रहना
- त्रुटियों तथा अव्यवस्थाओं से बचाव करना।
- त्रुटियों तथा अव्यवस्थाओं की पहचान करना तथा सुधारना।
- बच्चों को बुरी आदतों से बचाने में सहायता करना।
- संक्रामक तथा अन्य रोगों के ना होने देने के लिए कदम उठाना।
- बच्चों को उत्तम स्वास्थ्य के लिए प्रेरित करना।
- विद्यालय में अच्छा वातावरण प्रदान करना।
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